MAHA KALI SIDDHA KAVACH FOR DUMMIES

maha kali siddha kavach for Dummies

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नारायणेन यद् दत्तं कृपया शूलिने पुरा॥

ॐ क्रीं क्रीं क्लीं काल्यै स्वाहा दंतं पातु माम् सदा मम् ।

कुमारी, लक्ष्मी (कमला), चामुण्डा मुझसे द्वेष करने वाल का भक्षण करो। इन्द्राणी, घोर रूपा चण्ड मुण्ड का विनाश करने वाली।

"Truth of the matter is one particular; only It is known as by various names. All men and women are searching for the same Fact; the variance is because of local weather, temperament, and identify. A lake has a lot of ghats. From a person ghat the Hindus choose h2o in jars and call it 'jal'. From A different ghat the Mussalmans take water in leather luggage and call it 'pani'. From a third the Christians go ahead and take same point and simply call it 'water'. (All chuckle.

तदेव शूलिना दत्तं पुरा दुर्वाससे मुने॥

पुष्पाञ्जलीन् कालिका यै मुलेनैव पठेत्सकृत् ।

शिष्येभ्यो भक्तियुक्तेभ्यो ह्यन्यथा मृत्युमाप्नुयात् ।

O Param Mahamayi! May perhaps You shield my neck, and he or she that is the manifestation of many of the noble sentiments of altruism, shield my higher back. Could the Goddess that is the grantor of all energy secure both my arms, and O giver of non-duality, Kaivalyadayini, defend both equally my arms.

शिखायां दक्षिणे बाहौ कण्ठे वा धारणाद् बुधः ॥

शुल्काचा परतावा करावयाच्या उमेदवारांची यादी

According to the report of condition housing Division, houses for slum in Mumbai as well as other metro towns are increasingly being created as a result of SRA. SRA Authority might be extended to other spots from the condition at the same time. Via this, SRA can offer pakka houses to very poor people and redevelop slums.

चतुर्भुजां लोलजिह्वां पूर्ण चन्द्र निभाननाम्। १ ।

sanyas ek jog hai us jog ko lagane ke liye kisi guru ka ras pan karna thik hai par unke sanidhy mein rehker jog lagana padta hai….aghorrrrr jag

महाकाली, महाकाल की वह शक्ति है जो more info काल व समय को नियन्त्रित करके सम्पूर्ण सृष्टि का संचालन करती हैं। आप दसों महाविद्याओं में प्रथम हैं और आद्याशक्ति कहलाती हैं। चतुर्भुजा के स्वरूप में आप चारों पुरूषार्थों को प्रदान करने वाली हैं जबकि दस सिर, दस भुजा तथा दस पैरों से युक्त होकर आप प्राणी की ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों को गति प्रदान करने वाली हैं। शक्ति स्वरूप में आप शव के उपर विराजित हैं। इसका अभिप्राय यह है कि शव में आपकी शक्ति समाहित होने पर ही शिव, शिवत्व को प्राप्त करते हेैं। यदि शक्ति को शिव से पृथक कर दिया जाये तो शिव भी शव-तुल्य हो जाते हैं। शिव-ई = शव । बिना शक्ति के सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड और शिव शव के समान हैं। मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि इस सम्पूर्ण सृष्टि में शिव और शक्ति ही सर्वस्व हैं। उनके अतिरिक्त किसी का कोई आस्तित्व नहीं है।

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